कविता = परछाई
⭐ गीत = ( परछाई )
तू तो थी मेरी परछाई !
दुनियाँ मेरी क्यों है जलाई !!
वफ़ा के बदले बेवफ़ाई !
कैसे हो गई तू हरजाई !!
तू तो थी मेरी परछाई !
दुनियाँ मेरी क्यों है जलाई !!
विश्वास को मेरे ठेस लगाई !
छुरी वफ़ा पर क्यों है चलाई !!
दिल में मेरे तू है समाई !
कैसे हो गई पल में पराई !!
तू तो थी मेरी परछाई !
दुनियाँ मेरी क्यों है जलाई !!
पग की धूल माथे से लगाई !
कलंक बन क्यों माथे पर छाई !!
बेदर्दी तुझको दया न आई !
चिता मेरी खूब सजाई !!
तू तो थी मेरी परछाई !
दुनियाँ मेरी क्यों है जलाई !!
मेरे हिस्से में तन्हाई !
तेरे हिस्से महफ़िल आई !!
तेरे क़दमों में दुनियॉं आई !
मेरे आगे बस है खाई !!
तू तो थी मेरी परछाई !
दुनियाँ मेरी क्यों है जलाई !!
विपिन बंसल
सीताराम साहू 'निर्मल'
07-Feb-2023 07:31 PM
👏👍🏼
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Varsha_Upadhyay
06-Feb-2023 05:08 PM
बेहतरीन
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Renu
06-Feb-2023 03:59 PM
👍👍🌺
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