Vipin Bansal

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कविता = परछाई

⭐ गीत = ( परछाई )


तू तो थी मेरी परछाई !
दुनियाँ मेरी क्यों है जलाई !!
वफ़ा के बदले बेवफ़ाई !
कैसे हो गई तू हरजाई !!
तू तो थी मेरी परछाई !
दुनियाँ मेरी क्यों है जलाई !!

विश्वास को मेरे ठेस लगाई !
छुरी वफ़ा पर क्यों है चलाई !!
दिल में मेरे तू है समाई !
कैसे हो गई पल में पराई !!
तू तो थी मेरी परछाई !
दुनियाँ मेरी क्यों है जलाई !!

पग की धूल माथे से लगाई !
कलंक बन क्यों माथे पर छाई !!
बेदर्दी तुझको दया न आई !
चिता मेरी खूब सजाई !!
तू तो थी मेरी परछाई !
दुनियाँ मेरी क्यों है जलाई !!

मेरे हिस्से में तन्हाई !
तेरे हिस्से महफ़िल आई !!
तेरे क़दमों में दुनियॉं आई !
मेरे आगे बस है खाई !!
तू तो थी मेरी परछाई !
दुनियाँ मेरी क्यों है जलाई !!

विपिन बंसल

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5 Comments

Varsha_Upadhyay

06-Feb-2023 05:08 PM

बेहतरीन

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Renu

06-Feb-2023 03:59 PM

👍👍🌺

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